Baby Care कैसे जानेंगे आप के आपके बच्चे का सही ढंग से विकास हो रहा है?
यदि आप हाल फिलहाल में ही माता पिता बने है तो बेशक आपको कई सारी चीज़े परेशान कर रही होगी खासकर आपके बच्चे की देखभाल, बच्चे (Baby Care) के विकास से जुडी हुई तो आपकी इसी समस्या का हल हम आपको अपने इस लेख में देने वाले है तो पढना जारी रखे । वैसे तो बच्चे में विकास की गति जन्म के बाद से ही शरू हो जाती है और उम्र बढ़ने के साथ साथ ही शारीरिक एवं मानसिक विकास होने लगता है
जन्म होने के बाद से तीन साल तक बच्चे का विकास तेज़ी से होता है बच्चे का विकास ठीक तरह से हो रहा है या नही इस पर ध्यान देने के लिए आप उसका समय समय पर वज़न की जाँच कराये। आप एक महीने या दो महीनो के अन्तराल पर वज़न चेक करवा सकते है
यदि आप पाते है की वजन बढ़ रहा है तो सब ठीक है अगर नहीं बढ़ रहा है तो आपको उसके खाने पिने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है । चलिए अब संछेप में जानते है बच्चो का विकास किस प्रकार होता है ।
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उम्र | शारीरिक विकास | मानसिक विकास |
1 महिना | इस दौरान बच्चा कुछ समय के लिए पेट के बल लेटने की कोशिश करता है और कभी कभी घूम भी जाता है | अपनी आँखों को इधर उधर घुमा कर लोगो को देखने की कोशिश करता है खास कर कमरे मौजूद बल्ब या रोशनी वाली कोई वस्तु कभी कभी बचा थोडा बहुत मुस्कुराता भी है |
2 महिना | इस दौरान बच्चा अपने हाथ पैर हिलाने लगता है | बच्चा मुस्कुराता है और अपने आसपास लोगो को पहचानने लगता है खास कर अपनी माँ को |
5 से 6 महीनो में | इस दौरान बच्चा काफी जादा शारीरिक गतिविधिया करने लगता है जैसे करवट लेने लगता है पेट के बल खिसकना और सहारा लेकर बैठना सीख जाता है | इस दौरना बच्चा थोडा सामाजिक होने लगता है इस बात से हमारा यह तात्पर्य है की बच्चा घर परिवार के लोगो को जानने लगता है वही किसी बाहरी व्यक्ति को देख कर रोने लगता है या परेशान होने लगता है इसी के साथ साथ बच्चे में भाषा विकास भी होता है वह जोर जोर से आवाज़ निकलना भी शुरू करता है |
6 से 9 महीनो में | इस दौरान बच्चो में 2 -4 दांत आ जाते है और बच्चा बिना किसी सहारे के ही बैठना सीख जाता है और घुटनों के बल चलना शुरू कर देता है | इस दौरान बच्चा बातो को समझने की कोशिस करता है और उस पर प्रतिक्रिया भी देना शुरू कर देता है कई बार कुछ शब्द बोलने की कोशिश करना या बोल भी सकता है । बच्चा घर और बाहरी लोगो में अन्तर पता करने में सक्षम होने लगता है |
9 से 12 महीनो में | इस उम्र तक बच्चा खड़ा होने लगता है और सहारे से चलने लगते है 5 – 6 दांत भी आ जाते है | बोलने की कोशिश करता है आपकी बात को दोहरा सकता है पापा मम्मी आदि असं शब्द बोल सकता है इसके साथ ही साथ किसी भी विशेष चीज़ जैसे खिलौने या फिर फल को ध्यान से देखना या फोकस करना भी शुरू कर देता है |
12- 18 महीनो में | इस उम्र में बच्चा बिना सहारे के दौड़ पाता है और अगर बात करे शारीरिक विकास की तो 12 से 18 दांत आ जाते है | इस उम्र का बच्चा बोलने पर समझ सकता है और आपको इशारो से या बोल कर भी अपनी बात समझाने की कोशिश करता है वह चीजों को पकड़ने की कोशिश करता है और उसके हाथो से कोई भी चीजों को छीन नहीं सकता |
18 से 24 महीनो में | बच्चा आसानी से दौड़ सकता है और 16 से 18 दांत आ सकते है | इस दौरान बच्चा बोलना शुरू कर देता है छोटे छोटे शब्दों से लेकर कई बार बड़े बड़े वाक्य भी बोल देता है इसके साथ ही बच्चे अपने चीजों को पहचानने लगता है जैसे अपने दूध की बोतल या फिर मन पसंद खिलौना |
उम्मीद करते है आपको बच्चो के विकास एवं Baby Care से जुडी जानकारी आसानी से मिल गई होगी चलिए अब जानते बच्चो के पोषण एवं खान पान से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बाते
यह बात तो हम सभी लोग जानते ही है की बच्चो के खान पान का विशेष ध्यान देना बहुत जरूरी है क्योकि सही खुराक ही एक अच्छे शारीरक एवं मानसिक विकास को बढ़ावा देती है तो चलिए जानते है आप किस प्रकार अपने छोटे बच्चो के खान पान एवं पोषण का ध्यान रख सकते है
हमेशा याद रखें कि आपके बच्चे को पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों की ज़रूरत होती है इसके साथ ही यह भी ध्यान रखे की उसके पेट का आकार छोटा होता है। इसलिए आप कभी भी पोषण के चक्कर में उसे ओवर फीडिंग न करे या उससे अधिक खाना खाने की उम्मीद न करें। इसकी जगह पर आप खाने की क्वालिटी पर ध्यान दे सकते है जिससे बच्चा बिना ओवर फीडिंग के पर्याप्त पोषण पा सके तो चलिए जानते है ऐसे ही कुछ बेहरतीन खाद्य पदार्थो के बारे में जो आपके बच्चो को देंगे सम्पूर्ण आहार
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बच्चे की देखभाल एवं खान पान (Baby Care ) में जरूरी है अनाज
यदि आपका बच्चा 1- 3 वर्ष के बीच में है तो आप उसे रोजाना 2 कप आनाज दे सकते है जिसमे जौ और बाजरा शामिल कर सकते है वही 4 से 6 वर्ष के बच्चो के लिए आप यह खुराक बाधा कर 4 कप तक कर सकते है ये आनाज कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन एवं बी-काॅम्प्लैक्स बिटामिन के बेहतरीन स्रोत हैं। आप इसके साथ ही कुछ सब्जिय जैसे कसा हुआ गाजर, प्याज, शिमला मिर्च, चुकंदर आदि को उपमा चपाती, डोसा या इडली में मिलकर अपने बच्चे के आहार में शामिल कर सकते है। यह आपके बच्चे के लिए एक स्वादिष्ट एवं पौष्टिक आहार साबित हो सकता है
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दाल
बढ़ते बच्चो के लिए दाल का सेवन भी बहुत जरूरी है आप अपने बच्चे के रोजाना के खानेमे दाल अवश्य शामिल करे फिर चाहे आप उसे दाल का जूस परोशे या फिर दाल से बनी हुई कोई डिश तैयार करे जैसे उपमा, दोशा, इडली आदि इसके साथ साथ अगर आप पाने बच्चे को अंकुरित दाल का सलाद देती है तो यह सबसे अच विकप्ल माना जायेगा पर बच्चा इसे खाने से मना कर सकता है इसी लिए आप इसे पराठे या डोसा या फिर इडली के साथ मिला कर सर्व करे।
आपको तो पता ही होगा अंकुरित अनाज में कितनी अधिक मात्र में जरूरी प्रोटीन और पोषक तत्व होते है पर आपको ध्यान रखना है यह अधिक मात्रा में न दे यदि आपका बच्चा 1 से 3 साल के बीच में है तो उसे आधा कप और यदि 4 से 6 साल का है तो उसे कप अंकुरित दाल या अनाज सर्व करे इसके विपरीत आप पकी हुए दाल इसकी दो गुनी मात्रा में सर्व कर सकते है
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सब्जियां
सब्जियां भी बच्चो के आहार का प्रमुख श्रोत है यदि आपका बच्चा 1 से 3 साल के बीच है तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा के आपका बच्चा प्रतिदिन 2 कप सब्जियों का सेवन कर रहा है या नहीं कई बार ऐसा देखने को मिला है के बच्चो को हरी सब्जियां पसंद नही आती है इसके लिए आप सब्जियों से बनी हुई रेसेपी तरी कर सकती है जैसे खिचड़ी सब्जी पुलाव या फिर सलाद जैसी कलरफुल चीजों का सहारा ले कर आप अपने बच्चो को सब्जी खिला सकती है
यदि आपका बचा 4-6 वर्ष की आयु का है तो उसकी डाइट में 3 कप सब्जियां प्रतिदिन शामिल करें। सब्जियां बिटामिन एवं खनिज तत्वों के बेहतरीन स्रोत माने जाते हैं। तले हुए अंडे, सैंडविच, खिचड़ी, सब्जी पुलाव या अन्य स्नैैक्स में हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करें। उपमा, रागी या चावल की रोटी, सूप, आदि में बारीक़ कटी हुई गाजर, बारीक कटे आलू, फलियां या मटर शामिल करे।
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फल
फल एक बेहतरीन विकल्प है अपने बच्चो की सभी पोषण सभी जरूरतों को पूरा करने का यदि आप अपने बच्चे को 1 कप या 1 कटोरी फल रोजाना देते है तो उसे संभवत किसी भी चीज़ की कमी नहीं होगी पर ओवरडोज़ से बचे कई बार टेस्ट के चक्कर में बचा अधिक खा लेता है और फिर उलटी जैसी समस्याए होती है तो आपको यह ध्यान रखना है की उसे नियमित आहार ही दे अन्यथा कोई फायदा नही होगा ।
आप फलो को छोटे छोटे टुकडो में काट कर उसे मेस कर के बच्चो को चच्मच से खिला सकते है या फिर बच्चा अगर साबुत फल खाने में सक्षम है तो यह सबसे बेहतरीन होगा। पर ध्यान देने वाली बात है आप बच्चे कोई ऐसा फल अकेले कभी न दे जो गले में फसने या चोकिंग का कारण बने आप केला, आम , खरबूज आदि आसानी से दे सकते है वही लीची, अंगूर, जैसे फलो को मेश कर के ही खिलाये।
इसके अलावा यदि आपका बचा फल खाने से माना करता है तो आप मिल्कशेक कस्टड या फिर फ्रूट केक का सहारा ले सकते है बशर्ते वह आप घर में ही बनाये मार्किट में मौजूद उत्पाद पूर्णता सुरक्षित नही होते खास कर बच्चो के लिए।
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दूध
अब आती है बात दूध की यानी सबसे जरूरी आहार चाहे बच्चा बड़ा हो या छोटा दूध सबसे जरूरी है क्युकी इसमें मौजूद कैल्शियम बच्चो की हड्डियों को मजबूत बना कर शारीरिक एवं मानशिक विकास को बढ़ावा देता है इसी लिए आप अपने बच्चो की डाइट में दूश अवश्य शामिल करे आप कम से कम 500 मिली. दूध एवं दूध उत्पाद शामिल करें।
दूध आपके बच्चे को अच्छी गुणवत्ता का प्रोटीन एवं वसा प्रदान करता है। इसी के साथ साथ आप आप फलों या नट्स को दूध में डालकर दूध को अधिक पोषक बना सकते हैं। यह स्वाद में भी और बेहतरीन हो जायेगा। फल द्वारा बना मिल्कशेक आपके बच्चे के लिए एक अतिरिक्त स्वास्थ्यवर्धक तत्व है।
बच्चो की खान पान के अतरिक्त और भी कई ध्यान देने योग्य बाते है जो निन्लिखित है
अगर आप अपने बच्चे के एक बेहतरीन शारीरक और मानसिक स्वास्थ्य की ओर ले जाने चाहते है तो अच्छे खान पान के साथ आपको कुछ ऐसी चीजों पर भी ध्यान देना होगा जो बहुत से पेरेंट्स नही दे पाते है चलिए जानते है वो क्या है:-
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खेल-कूद
अधिकतर यह देखा गया है की कुछ पेरेंट्स को बच्चो का खेलना जादा पसंद नही होता उन्हें डर लगा रहता है कही ये चोट न लगा ले या कुछ नुकसान न कर दे पर आपको इस सोच से मुक्त होना पड़ेगा क्योकि बच्चे तो बच्चे होते है उन्हें खेल कूद आदि में रुचि होना आम बात है और वैज्ञानिक तौर पर या सिद्ध है बच्चों के शारीरिक विकास के लिए उनका खेलना-कूदना काफी जरूरी होता है। खेलने से बच्चों की लंबाई, ब्लड सर्कुलेशन और शारीरिक बल बढ़ता है।
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अच्छा माहौल
बच्चे के अच्छे विकास के लिए जरूरी है उनकी परवरिश एक ऐसी जगह हो जहाँ का माहौल बहुत अच्छा हो प्राक्रतिक तौर पर भी और व्यक्तिगत तौर पर भी बच्चा जहा पर भी पल बढ़ रहा हो वह जगह अच्छी और खुली होनी चाहिए प्रक्रति के पास होनी चाहिए ध्यान रखे बच्चो का कमरा हवादार और खुला होना चाहिए ऐसे कमरे जिसमें खिड़कियां मौजूद होती हैं, उससे बच्चों को क्रिएटिव होने में मदद मिलती है खुली हुई खिड़की से आसपास के वातावरण और आसमान के चमकते तारों को देखकर बच्चों का मन हमेशा खुश रहता है।
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अच्छी और पूरी नींद
हम सभी अच्छी नींद लेना कितना जरूरी है खास कर यदि बात बढ़ते बच्चो की हो तो तो आपको यह ध्यान रखना है की आपका बच्चा पोरी और अच्छी नींद ले रहा है या नहीं उसके लिए आप उसके टीवी टाइम में कटौती कर सकते है या फिर उन्हें सही टाइम पर बिस्तर में भेज कर सोने को बोल सकते है आप चेक करे की बच्चा सो रहा है या नही यदि बच्चे की नींद पूरी नही होगी तो वह स्टडी टाइम में सुस्ती महसोस करेगा ध्यान नही लगा पायेगा जिससे मानसिक विकार उत्पन्न हो सकते है
इसी लिए हमेसा ध्यान रहे की आपका बच्चा पूरी नींद ले रहा है या नही ये जरूर चेक करे छोटे बच्चे अक्सर किसी भी खेल-कूद के दौरान थक जाते हैं. जिसके कारण उन्हें पढ़ते समय अक्सर सोते हुए पाया जाता है ऐसे समय में बच्चों को उनकी नींद पूरी करने देना चाहिए