- पेट का कैंसर (stomach cancer) क्या है
पेट का कैंसर (stomach cancer) क्या है
अन्य कैंसर के प्रकारों की तरह, पेट का कैंसर (Stomach Cancer) बहुत गंभीर समस्या है। क्या आपको मालूम है यह कैंसर का 14वां सबसे आम प्रकार है। इस कैंसर के होने का कारण है आपके पेट में स्वस्थ कोशिकाओं के बदलाव का कारण और जिस वजह से यह नियंत्रण से बाहर होने लगती हैं। अधिक बढ़ने के साथ साथ यह कोशिकाए धीरे-धीरे ख़राब होने लगती है । यह आपके पेट के किसी भी भाग में शुरू हो सकता है और आपके शरीर के दूसरे भाग में भी फैल सकता है, जैसे लीवर, फेफड़े और हड्डियां आदि इसके चपेट में आ सकते है ।
यह पहले पेट की दीवार में फैलता है और फिर बढ़ कर आस पास के उत्तको (tissues) में फैल जाता है। ये फेफ़ड़े (lungs),यकृत ( liver) और पेरिटोनियम (peritoneum) में हो जाता है
पेट के कैंसर के प्रकार(Types of stomach cancer)
लिंफोमा (lymphoma) –
लिंफोमा पेट का कैंसर होता है वह हमारी वसा कोशिकाओं से बना हुआ ट्यूमर होता है जो हमारी कोशिकाओं से होकर पुरे शरीर मे फैल जाता है और ये हमारे त्वचा(skin) के ठीक निचले भाग में ट्यूमर के रूप में स्थित होता है
एडेनोकार्सिनोमा(adenocarcinoma)-
एक प्रकार का कैंसर होता है ये कैंसर शरीर में कही भी शुरु हो सकता है क्युकी ये कोशिकाओ के एकत्रित होने के कारण बनता है और बढता है वह शरीर के भाग जिसे ब्रह्दान्त, फेफड़े, स्तन और (Prostate) शामिल है और ये हानिकारक
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (Gastrointestinal stromal tumor)-
ये बीमरी जादातर 40 70 साल वालो को होने संभावना होती है सायद ही किसी युवा और बच्चों में ये ट्यूमर पाया जाता हो और ये पाचन तंत्र की छोटी आन्त में होता है साथ ही (GIST) के लक्षण बाकियों के तरह स्थान ,आकार और अन्य कारको पर निर्भर होते है और इसके लक्षण खुनी दस्त,पेट में दर्द, आंतो में रुकावट ,निगलने में कठिनाई और मतली.
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (Neuroendocrine tumor)
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (Neuroendocrine tumor) को कठिनाइयों से भरा बताया जाता है. यह बीमारी मनुष्य के शरीर में कुछ विशेष कोशिकाओं (cells) से विकास करती है जोकि शरीर के किसी भी अंग से विकास होना शुरु हो जाती है न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर हार्मोन्स बनाने वाली ग्रांथियों से संबंधित होकर शरीर में विभिन्न प्रकार के प्रभाव डालते है जो कैंसर होता है. अधिकांश न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर फेफड़े, अपेन्डिक्स, छोटी आंत, रेक्टम में होते है
पेट में कैंसर होने के कारण हिंदी में (Causes of stomach cancer in Hindi)
पेट के कैंसर में कोशिकाओ के डीएनए में कुछ परिवर्तन होने के कारण नार्मल कोशिकाओ के समय के अनुसार जल्दी विकसित होने वाली कोशिकाए होती है जो बढ़ती रहती है ख़त्म नही होती है और वह कोशिकाए एकत्रित होने पर एक मात्र टयूमर का रूप ले लेती है फिर ये कोशिकाए टयूमर के रूप में शरीर के अन्य उपकरणों में फैल जाती है जो कैंसर का कारण बनती है
मदिरा व तबाकू का सेवन , आहार में सब्जियों व फल का इस्तमाल कम करना, धूम्रपान करना, मास अधिक मात्रा में सेवन करना, आधुनिक व आनियामत लाइफस्टाइल, रोगप्रति रोग की छमता कमज़ोर पड़ता जैसी आधुनिक व आनियामत लाइफस्टाइल वाली चीज़े है इसके अलावा पेट में एक हेलिकोबक्टोर पाइलोरी (Helicobactar Pylori) नामक बैक्टीरिया पर पेट में अल्सर और सूजन भी गैस्ट्रिक कैंसर (gastric cancer) का एक बड़ा कारण हो सकता है
पेट में कैंसर होने के लक्षण (Symptoms of stomach cancer in Hindi)
1 पेट में दर्द या जलन होना
पेट में कैंसर होने के बहुत से कारण हो सकते है लेकिन पेट का कैंसर (stomach cancer) का शुरवाती लक्षण कई बार तो पता भी नही चलता है क्यूँ की वह एक आम बीमारी के रूप में प्रकट होते है जिसकी तुलना पेट में दर्द, बुखार, सर्दी और जुखाम से की जाती है जो बाद में शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने के बाद उसके लक्षण पता चलता है जैसेकी
2 मल में खून आना
3 उल्टी आना मतली
4 भूख कम हो जाना
5 पेट भरा भरा लगना
6 वजन काफी कम होना
7 शरीर में हीमोग्लोबिन(hemogolobin) की कमी
8 कमजोरी महसूस होना
9 भोजन निगलने में कठिनाई
10 पेट में हवा भरना जैसा प्रतीत होना
11 पीलिया की शिकायत बार बार होना
12 कुछ भी करने में थक जाना
पेट के कैंसर का इलाज (method of treatment stomach cancer)
कैंसर के लक्षण दिखने पर पहले डॉक्टर के कंसर्ट से टेस्ट कराया जाता है फिर कैंसर के स्टेज के अनुसार सर्जरी, कीमोथेरेपी (chemotherapy) , इम्युनोथेरेपी (immunotherapy) थेरेपी जैसे विकल्पों में से सबसे उपयुक्त उपचार की सुविधा मुहैया करवाया जाता है।
पेट के कैंसर के शुरुआती स्टेज के मामले में, सर्जरी होने के बाद कीमोथेरेपी/रेडियोथेरेपी से व्यक्ति को कैंसर ठीक होने की संभावना होती है। बल्कि एडवांस्ड मेटास्टैटिक या आवर्तक पेट के कैंसर से पीडि़त मरीजों के लिए कैंसर की बायोलॉजी के आधार पर कीमोथेरेपी(chemotherapy) को ट्रास्टुजुमाब (Trastuzumab), इम्युनोथेरेपी (immutherapy) जैसी एडवांस्ड दवाओं के साथ सप्लीमेंट दिए जा सकते है पेट के कैंसर के मामलों में ये सब जीवन को बेहतर और लंबे समय तक जीने में सहयोग करते है। प्रहेज और ये उपचार कैंसर को नियंत्रित करने में एहेम होते है लेकिन बिना प्रहेज के ये सब उपचार व्यर्थ होता है
कैंसर में क्या खाया जाये
तो सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है की खाने में प्रहेज रखा जाये की व्यक्ति को क्या खाना चाहिए और ऐसा खाना चुना जाए, जो पचाने में आसान हो और हर बार खाने के बाद पेट को भरी न लगे। इनमें ऐसे आहार शामिल करे जा सकते हैं जो नरम व पचाने में तेज और उच्च प्रोटीन स्रोत वाला हों। जो कैंसर में खाना पचाने में सहायक हो। साथ ही साथ खाने के हिस्से बाट दिए जाए जो कैंसर को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा उपचार है।
जैसे की (3 वक्त के खाने को 6 वक्त) में बाट दिया जाये और (4 वक्त को 8 वक्त में) इस तरीके से कैंसर पीडित व्यक्ति को खाना पचाने में आसानी होती है यह आपके शरीर को पोषण आसानी से देगा और उसे पचाने के लिए आपके पेट पर बोझ भी नहीं पड़ेगा। अगर खाने में से पोशक तत्वों को लेने में अक्षम हो आप, तो व्यक्ति के लिए पूरक (vitamin ,iron, pholate या calcium) भी लेना पड़ सकता है। जिसके लिये supplement भी दिया जाता है