Premature Delivery During Pregnancy: गर्भावस्था के दौरान प्रीमेच्योर डिलीवरी होने के कारण, लक्षण और बचने के उपाय ?

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जब महिला गर्भवती होती हैं तो उसके शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं गर्भवती महिला के शरीर में हार्मोन बदल जाते हैं जिसकी वजह से महिला के शरीर में तरह-तरह के बदलाव दिखाई देने लगते हैं। जब महिला गर्भवती होती हैं तो वह बहुत खुश होती है लेकिन जब उन्हें अपने शरीर में बदलाव दिखाई देते हैं तो कई महिलाएं घबरा भी जाती हैं। हम आपको बताते हैं कि आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान ऐसा सभी महिलाओं के साथ होता है क्योंकि उनके शरीर में हार्मोन बदल जाते हैं इसकी वजह से महिलाओं के शरीर में कई समस्याएं हो सकती हैं।

Premature Delivery During Pregnancy in Hindi

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को जितनी भी समस्याएं होती हैं उनमें से ही एक समस्या होती हैं प्रीमेच्योर डिलीवरी। प्रीमेच्योर डिलीवरी का मतलब है किसी महिला का समय से पहले प्रसव होना। ऐसी बहुत सी महिलाएं होती हैं जिन्हें डॉक्टर बच्चे की डिलीवरी का जो टाइम देते हैं उस टाइम से काफी पहले बच्चेकि डिलीवरी करवानी पड़ती हैं। इसलिए गर्भवती महिला को गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान इन बातों का ध्यान रखना होगा के प्रीमेच्योर डिलीवरी से कैसे बचा जा सकें।

आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको यह बताएंगे कि समय से पहले प्रसव होने के क्या कारण हो सकते हैं और उसे कैसे रोका जा सकता है इसके लक्षण के बारे में भी बताएंगे। इसी के साथ-साथ हम जानेंगे कि Causes Of Pre-mature delivery During Pregnancy In Hindi तथा Treatment Of Pre-mature Delivery During Pregnancy In Hindi इसी के साथ-साथ हम आपको Symptoms Of Pre-mature Delivery During Pregnancy In Hindiतथा Prevention From Pre-mature Delivery During Pregnancy In Hindiके बारे में भी बताएंगे।

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प्रीमेच्योर डिलीवरी होने का क्या मतलब होता है– What Is Pre-mature Delivery In Pregnancy In Hindi ?

जैसा कि आप सब जानते हैं कि गर्भधारण का समय कितना होता है लेकिन जब गर्भावस्था के 37 हफ्ते पूरे करने से पहले ही प्रसव हो जाता है तो उसे प्रीमेच्योर डिलीवरी कहा जाता है।इसे प्रीटर्म या प्रीमेच्योर बर्थ भी कहा जाता है। बहुत-सी महिलाओं को यह पता नहीं होता है कि गर्भधारण का सही समय क्या होता है सामान्य तौर पर महिलाओं कि गर्भावस्था 40 Weeks में पूरी होती है लेकिन गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में भ्रूण का शारीरिक विकास 37 हफ्तों तक पूरी तरह से हो जाता है।

यही वजह है कि अगर किसी महिला का प्रस्व 40 हफ्तों से पहले ही हो जाता है तो उन महिलाओं के शिशु को बहुत सी समस्याएं हो सकती हैं। जैसे कि सब जानते हैं अगर किसी महिला का समय से पहले प्रसव हो जाता है तो उन महिलाओं का बच्चा बिल्कुल भी स्वस्थ नहीं रहता।उनका बच्चा बहुत ज्यादा कमजोर भी होता है और उसे कई बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है। कई बार तो ऐसे होता है जिन महिलाओं का प्रसव समय से पहले हो जाता है तोउन महिलाओं के बच्चे की मृत्यु भी हो सकती हैं।

प्रीमेच्योर डिलीवरी होना कितना आम है।

अगर हम दुनिया की बात करें तो स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में हर साल जन्म लेने वाले बच्चों में लगभग डेढ़ करोड़ बच्चों का जन्म प्रीमेच्योर डिलीवरी से होता है हमने भी अक्सर देखा है कि गर्भावस्था के दौरान बहुत ही महिलाओं की जब गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी होती हैं तो कई महिलाओं के साथ ऐसा होता है अगर हम भारत की बात करें तो हर साल यहां ढाई करोड़ शिशुओं में 35 लाख प्रीमेच्योर डिलीवरी से ही होते हैं जो बच्चे प्रेमिका डिलीवरी से होते हैं उन बच्चों को स्वास्थ्य से संबंधित बहुत सी समस्याएं हो सकती है अब हम आपको प्रीमेच्योर डिलीवरी के कारण के बारे में बताएंगे

गर्भावस्था में समय से पहले प्रसव होने का कारण–Causes Of Pre-mature Pregnancy In Hindi ?

समय से पहले प्रसव होने के कई कारण हो सकते हैं ऐसे बहुत से कारण हो सकते हैं जिससे आपका समय से पहले प्रसव हो जाता है। अब हम आपको उन कारणों के बारे में बताएंगे जिसकी वजह से गर्भवती महिलाओंकोसमय से पहले ही प्रसव की समस्या हो जाती है जैसेकि-

18 से कम या 35 वर्ष से ज्यादा उम्र होना

जैसे कि कई बार आपने भी देखा होगा बहुत सी महिलाएं ऐसी होती हैं जो 18 साल से भी कम उम्र में शादी कर लेती है उन्हें यह पता नहीं होता है कि गर्भावस्था का सही समय क्या होता है।जो महिलाएं इतनी कम उम्र में गर्भवती होती हैतो उन महिलाओं को प्रीमेच्योर डिलीवरी कि समस्या ज्यादा रहती है।

इसलिए हम आपको यह बताते हैं कि जो भी महिला 18 साल से पहले शादी कर लेती है तोउन महिलाओं को यह ध्यान देना होगा कि उनका गर्भवती होने का सही समय क्या है और कई महिलाएं ऐसी होती हैं जिनकी ज्यादा उम्र हो जाती हैं लेकिन बहुत सी महिलाओं की उम्र 35 साल से भी ज्यादा हो जाती है और वें महिलाएं गर्भवती 35 साल से भी ज्यादा उम्र में होती हैं।

जो महिलाएं ज्यादा उम्र में गर्भवती होती है तोउन महिलाओं को बहुत सी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि जिनकी ज्यादा उम्र हो जाती है उनके शरीर में भी काफी बदलाव आते हैं इसलिए उन महिलाओं को गर्भावस्था के समय कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ज्यादा उम्र वाली महिलाओं के शरीर में अनेकों प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं, इसलिए हम महिलाओं को यह बताना चाहते हैं कि आप ज्यादा उम्र में गर्भधारण ना करें आपको बिल्कुल सही समय पर घर धारण करना चाहिएन।

हम आपको यह भी बताते हैं कि आपको कम उम्र में भी गर्भ धारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि अगर आप समय से पहले ही गर्भधारण कर लेते हैं तो आपको भी कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं।

पिछले गर्भावस्था में प्रीमेच्योर डिलीवरी होना

कई महिलाएं ऐसी होती है जो पहली बार गर्भवती होती हैं तो उन महिलाओं की प्रीमेच्योर डिलीवरी हो जाती है और जब वह महिलाएं दूसरी बार गर्भवती होती है तो पहले गर्भावस्था में प्रीमेच्योर डिलीवरी की वजह से महिलाएं दूसरी बार भी उन महिलाओं की प्रीमेच्योर डिलीवरी होती है। डॉक्टर का कहना है कि जिन महिलाओं की दोबारा प्रीमेच्योर डिलीवरी हो जाती है उन महिलाओं को तीसरी बार गर्भधारण नहीं करना चाहिए अगर महिलाएं तीसरी बार गर्भधारण करती हैं तो उन महिलाओं की जान भी जा सकती हैं।

गर्भावस्था के दौरान महिला में पोषक तत्वों की कमीहोना

बहुत कम महिलाओं को यह पता होगा की पोषक तत्वों की वजह से भी उनको प्रीमेच्योर डिलीवरी हो सकती है। अगर गर्भावस्था के समय किसी भी महिला के शरीर मे पोषक तत्वों की कमी हो जाती हैं तो उन महिलाओं के शरीर में बहुत सी समस्याएं हो सकती हैं।

पोषक तत्वों की कमी होने के कारण महिलाओं को बहुत सी बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है जिसमें से एक समस्या प्रीमेच्योर डिलीवरी भी हैजब महिलाएं खाना खाती है तो वह अपने आहार में ऐसी चीजों का सेवन नहीं करती हैं जिनमें पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में हो।

बहुत सी महिलाएं ऐसी होती हैं जो खाना तो समय पर खाती हैं लेकिन वह ऐसा खाना खाती है जिसमें पोषक तत्व बिल्कुल भी नहीं पाया जाता है। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान ऐसे खाने का सेवन करना चाहिए जिसमें पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

कई महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो खाना बहुत कम खाती हैं उन महिलाओं के शरीर में भी पोषक तत्वों की कमी हो जाती हैं।इसलिए महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान समय पर खाना खाना चाहिए अगर वह समय पर खाना नहीं खाती हैं तो उनके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती हैं जिसकी वजह से उनकी प्रीमेच्योर डिलीवरी भी हो सकती है।

अनुवांशिक प्रभाव

ज्यादातर महिलाओं को यह पता नहीं होता है कि अनुवांशिक की वजह से भी उनकी प्रीमेच्योर डिलीवरी हो सकती है। जिन महिलाओं को यह पता नहीं होता हैतो उन महिलाओं को यह ध्यान देना होगा कि अनुवांशिक भी बहुत बड़ी समस्या है। बहुत के परिवार ऐसे होते हैं जिनमे प्रीमेच्योर डिलीवरी की समस्या पीढ़ी दर पीढ़ी से चली आ रही है।

अगर महिला के परिवार में पहले गर्भवती महिला के माता को यह समस्या होती हैं याफिर गर्भवती महिला के परिवार में किसी भी सदस्य को प्रीमेच्योर डिलीवरी की समस्या हुई है, तो गर्भवती महिला को भी प्रीमेच्योर डिलीवरी की समस्या हो सकती हैं। इसलिए अगर आपको गर्भावस्था से पहले ही यह बात पता है कि आपके परिवार में यह समस्या दर पीढ़ी से चली आ रही है तो आपको गर्भावस्था से पहले ही अपना चेकअप कराना चाहिए।

योनि संक्रमण

जब महिलाएं गर्भवती होती है तो महिलाओं के शरीर में हार्मोन बदलने लगते हैं जिनकी वजह से महिलाओं की योनि में कम मात्रा में यीस्‍ट बनती है।गर्भावस्था के समय महिलाओं की योनि में पीएच बैलेंस ( ph Balance ) खराब होने लगता है जिसकी वजह से महिलाओं की योनि में इन्फेक्शन की समस्या हो जाती है। कई बार तो महिलाओं को इंफेक्शन की समस्या इतनी ज्यादा होती है कि उन्हें बहुत ज्यादा खुजली होने लगती है।

जैसे-जैसे महिलाओं की योनि में यीस्‍ट ज्यादा बनने लगता हैतो वैसे वैसे महिलाओं को खुजली की समस्या ज्यादा होने लगती है। महिलाओं की योनि से सफेद रंग के पानीका भी डिस्चार्ज होने लगता है तो उसकी वजह से महिलाओं को योनि में खुजली होती हैं। यह समस्या महिलाओं को तब होती हैं अगर महिलाएं कमजोर होती है याफिर महिलाओं को किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी कोई बीमारी हों, इसलिए महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखना होगा।

मधुमेह की समस्या

आपने अक्सर देखा होगा कि ऐसी बहुत सी महिलाएं होती हैं जिनको मधुमेह की समस्या हो जाती है।गर्भावस्था के दौरान अगर महिलाओं को मधुमेह की समस्या हो जाती है तो महिलाओं के शरीर में बहुत सी समस्याएं हो जाती है। गर्भावस्था के समय महिलाओं के शरीर में मधुमेह की समस्या तब होती है जब महिला के खून में शर्करा की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

अगर गर्भवती महिला के शरीर में इंसुलिन नामक हार्मोन ( Insuline Harmone ) का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं हो रहा होता, तो रक्त में ब्लड शुगर का संक्रमण बढ़ सकता है।

इंसुलिन हार्मोन गर्भवती महिला के शरीर में निबंध तरीकों से मदद करती हैं गर्भवती महिला के शरीर की मांसपेशियों और ऊत्तकों कि मदद करती है ताकि वह ऊर्जा के लिए रक्त शर्करा का इस्तेमाल कर सकें।अगर गर्भवती महिला के शरीर मेंइंसुलिन हार्मोन की मांग को पूरा नहीं किया जाता है तो आपके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर और भी ज्यादा बढ़ जाएगा जिसकी वजह से आपको गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की समस्या हो जाती हैं।

उच्च रक्तचाप

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं जैसे-जैसे महिलाओं के शरीर में बदलाव आने लगते हैं। वैसे ही महिलाओं के शरीर में रक्त की भी समस्या बढ़ने लगती है रक्तचाप की समस्या महिलाओं के शरीर में इतनी ज्यादा बढ़ जाती हैकि कई बार रक्तचाप बढ़ता है और कई बार घटता है।

अगर गर्भवती महिला के शरीर में रक्तचाप की समस्या हो जाती हैं तो महिलाओं को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर गर्भवती महिला के शरीर में उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है तो महिलाओं के शरीर में ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो जाती है।

कई बार महिलाओं का ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है और कभी-कभी तो ब्लड प्रेशर लो होने लगता हैंइस समस्या के कारण हृदय रोग, हार्ट फेलयूर, और स्टोक जैसी अनेक बीमारियां हो सकती हैंइसलिए महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखना चाहिए। गर्भवती महिला को समय पर भोजन करना चाहिए और उन्हें ज्यादा फोन भी नहीं चलाना चाहिए।

मोटापा

ऐसी कई महिलाएं होती है जिनका गर्भावस्था के समय बहुत ज्यादा वजन बढ़ने लगता है और ऐसी भी कई महिलाएं होती है जिनका गर्भावस्था से पहले ही वजन बढ़ा हुआ होता है।इसलिए अगर महिलाओं का वजन ज्यादा बढ़ा हुआ है तो उन महिलाओं को व्यायाम करना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का वजन ज्यादा नहीं बनना चाहिए क्योंकि अगर महिलाओं का वजन ज्यादा हो जाता है तो महिलाओं के शरीर में अनेकों प्रकार की समस्या हो सकती हैं।

इसलिए महिलाओं को अपना वजन कम करना चाहिए लेकिन एक बात का ध्यान रखना होगा गर्भावस्था के दौरान आपको ज्यादा एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए आप एक्सरसाइज तो धीरे-धीरे से करे जिससे कि गर्भवती महिला के शरीर में या पेट पर कोई खिंचावना पडें।अगर महिलाओं के शरीर पर किसी भी प्रकार का खिंचाव पड़ जाता है तो महिला और उसके बच्चे के लिए परेशानी हो सकती है।

धूम्रपान या शराब का सेवन करना

आपने ऐसी बहुत सी महिलाएं देखी होंगी जो गर्भावस्था के पहले या गर्भावस्था में निरंतर धूम्रपान या फिर शराब का सेवन करती हैं। कई महिलाएं तो ऐसी होती हैं जिन्हें धूम्रपान और शराब की बहुत ज्यादा आदत होती है वह 1 दिन भी धूम्रपान या शराब के बिना नहीं रह सकती हैं, तो ऐसी महिलाओं को यह ध्यान रखना होगा अगर वेंगर्भावस्था के दौरान धूम्रपान या शराब का सेवन करेंगी तो उनके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है।

अगर महिला धूम्रपान का सेवन करती है तो उनके बच्चे को अनेकों प्रकार की बीमारियां हो सकती है और महिला को गर्भावस्था के समय किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए। क्योंकि  गर्भवती महिला नशा करती है तो वें गर्भवती महिला और उसके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है इससे गर्भवती महिला और उसके बच्चे को बहुत सी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

गर्भावस्था में समय से पहले प्रसव होने के लक्षण– Symptoms Of Premature Delivery During Pregnancy In Hindi ?

आपको यह तो पता ही होगा कि वैसे तो समय से पूर्व प्रसव होने की सही जानकारी डॉक्टर ही दे सकते हैं,लेकिन फिर भी हम आपको कुछ लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे आपको यह बता लग सकता है कि आप की डिलीवरी समय से होंगी या समय से पहले जैसेकि-

योनि से सफेद स्राव होना

गर्भवती महिला की योनि से बहुत ज्यादा सफेद रंग के पानी का डिस्चार्ज होना अगर गर्भवती महिला की योनि में सफेद रंग का पानी निकलने लगता है, तो उन महिलाओं की योनि में खुजली की समस्या भी ज्यादा रहने लगती है और कई महिलाओं की योनि से रक्त भी निकलने लगता है जिससे आपको यह पता लग सकता है कि आप की डिलीवरी कब होंगे।

पेट में कसाव महसूस होना

कई महिलाओं के साथ ऐसा होता है कि उन्हें ऐसा महसूस होता है जैसे कि उनके पेट में हर 10 मिनट के बाद कसाव महसूस होना।कई महिलाओं को ऐसा लगता है जैसे उनके पेट में कोई अंदर से कस के पकड़ रहा है यह सब प्रीमैच्योर डिलीवरी के लक्षण होते हैं।

पेट में शिशु की आहट महसूस होना

कई बार महिलाओं को पेट में ऐसा भी महसूस होने लगता है जैसे कि गर्भवती महिला के पेट में शिशु नीचे की तरफ अपने आप को धकेल रहा है यह भी प्रीमेच्योर डिलीवरी के लक्षण हो सकते हैं।

हद से ज्यादा पीठ दर्द रहना

गर्भावस्था के दौरान वैसे तो पीठ में दर्द थोड़ा बहुत सभी महिलाओं को रहता है लेकिन जब आपको पीठ में दर्द थोड़ा ज्यादा रहने लगता हैं, तो यह भी हो सकता है कि आपको यह लक्षण प्रीमैच्योर डिलीवरी के हो सकते हैं।

गंभीर रूप से पेट दर्द

बहुत-सी महिलाओं को ऐसा भी होता है कि उनके शरीर में डायरिया या डायरिया ना होने पर भी उनके पेट में दर्द होता है। पेट में दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन उन कारणों में से एक कारण यह भी हो सकता है कि आपको प्रीमैच्योर डिलीवरी की समस्या भी हो सकती हैं।

प्रीमैच्योर डिलीवरी से महिलाओं को होने वाली समस्याएं– Complication’s In Mother’s Due To Pre-mature Delivery In Hindi ?

जिन महिलाओं का समय से पहले प्रसव हो जाता हैतो उन महिलाओं को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर महिला का प्रसव 37 हफ्ते से पहले हो जाता है तो उन महिलाओं को प्रसव के दौरान और भविष्य में बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसेकि-

स्तनपान कराने में समस्या

जब महिलाओं की प्रीमैच्योर डिलीवरी होती है तो उन महिलाओं को जब अपने बच्चे को दूध पिलाना होता है तो वह अपने बच्चे को अच्छे से दूध भी नहीं पिला सकती हैं। क्योंकि उनके शरीर में दर्द होता है और भी कई समस्याएं हो जाती है वे अपने बच्चे को अच्छे से स्तनपान नहीं करा सकती, इसकी वजह से गर्भवती महिला के बच्चे के शरीर में पोषक तत्वों की भी कमी हो सकती है। अगर आपका बच्चा अच्छे से स्तनपान नहीं कर पाएगा तो उसे किसी प्रकार की बीमारी भी हो सकती हैं।

कमजोरी और थकान की वजह से शिशु को उठाने में समस्या

प्रीमैच्योर डिलीवरी की वजह से महिलाओं के शरीर में इतनी ज्यादा कमजोरी और थकान होने लगती है कि वह कोई भी काम नहीं कर पाती हैं।महिलाओं के शरीर में इतनी ज्यादा कमजोरी आ जाती है कि वह अपने बच्चे को भी उठा नहीं सकती। अगर वें अपने बच्चे को उठाएंगी तो उन्हे चक्कर भी आ सकता हैं, क्योंकि प्रीमैच्योर डिलीवरी की वजह से महिलाओं के शरीर में बहुत ज्यादा थकान रहने लगती हैं और कमजोरी भी होती हैं।

कम नींद आना

प्रीमैच्योर डिलीवरी की वजह से महिलाओं को नींद की भी समस्या हो जाती है। जब महिलाओ की प्रीमैच्योर डिलीवरी होती है तो उन महिलाओ के शरीर में बहुत सी समस्याएं हो जाती हैं उन महिलाओं को सोने में भी बहुत ज्यादा समस्या आने लगती है अगर वें सोती है तो उनके शरीर में दर्द होने लगता हैं। वह महिलाएं अच्छे से सो भी नहीं पाती है जिसकी वजह से महिला के शरीर में कमजोरी आने लगती हैं।

समय से पहले प्रसव रोकने का इलाज– Treatment Of Pre-mature Delivery In Hindi ?

समय से पहले प्रसव को रोकने के लिए डॉक्टर कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट का उपयोग कर सकते हैं जो कि इस प्रकार से है-

हार्मोन ट्रीटमेंट ( Hormone Treatment )

गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर के द्वारा 16वे से 37वे हफ्ते तक महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन दिया जाता हैं, यें हार्मोन गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में बनता है।कहा जाता है कि अगर गर्भवती महिला के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन की मात्रा बढ़ने लगती है तो यह महिला के शरीर में प्रीमेच्योर डिलीवरी को 33% कम कर सकता हैं।

सर्वाइकल सरेक्लेज ( Cervical Cerclage )

यह ट्रीटमेंट उन महिलाओं को दिया जाता है जिनका गर्भाशय कमजोर होने लगता है इस अवस्था में गर्भाशय भ्रूण का वजन नहीं संभाल पाता है और सर्विक्स जल्दी खुल जाता हैं।ऐसा होने पर महिलाओं का गर्भपात भी हो सकता है और समय से पहले प्रसव होने का खतरा भी बढ़ जाता हैं।इस ट्रीटमेंट में डॉक्टर सर्विक्स के आसपास एकटाका लगाते हैं जो गर्भावस्था के 37 हफ्ते के आसपास खोल दिया जाता है।

टोकोलाइसिस ( Tocolysis )

टोकोलाइसिस एक प्रकार की दवाई होती हैं जो डॉक्टर प्रीमेच्योर डिलीवरी से बचने के लिए महिलाओं को देते हैं। माना जाता है कि यह दवाई प्रीमेच्योर डिलीवरी को कुछ समय के लिए रोक सकती हैं।डॉक्टर का कहना है कि वैसे तो यह दवाई प्रीमेच्योर डिलीवरी को रोकने के लिए सही है लेकिन अभी तक कुछ ज्यादा फायदेमंद नहीं हुई है।

प्रीमेच्योर डिलीवरी होने से कैसे बच सकते हैं– Prevention From Pre-mature Delivery In Hindi ?

  • कम उम्र या फिर ज्यादा उम्र में गर्भवती होने से बचें।
  • गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान अपने वजन का ध्यान रखें।
  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए जिसमें की पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हों। महिलाओं को ऐसे खाने का बिल्कुल भी सेवन नहीं करना चाहिए जो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को नुकसान पहुंचाता है।
  • जिन सभी कारणों के बारे में हमें आपको ऊपर बताया है उन सभी कारणों को अच्छी तरह पढ़ लीजिएगा। उन सभी कारणों से बचाव करने पर आप आसानी से प्रीमेच्योर डिलीवरी से बच सकती हैं।

गर्भावस्था के समय डॉक्टर कब प्रीमेच्योर डिलीवरी कराने की सलाह देते हैं।

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कुछ समस्याएं इतनी ज्यादा बढ़ जाती है जिससे गर्भवती महिला और बच्चे की जान जोखिम में पड़ जाती हैं।ऐसी स्थिति में डॉक्टर प्रीमेच्योर डिलीवरी करने का निर्णय ले सकते हैं यह अवस्थाएं कुछ इस तरह की हो सकती है।

  • गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप
  • संक्रमण
  • भ्रूण में किसी प्रकार की समस्या
  • गर्भावस्था में उच्च मधुमेह
  • गर्भावस्था में खून की कमी
  • गर्भवती महिला का शारीरिक रूप से कमजोर होना

Conclusion –

गर्भावस्था के पूरे समय से पहले बच्चे क्यों होते हैं और गर्भावस्था के पूरे समय से पहले होने वाले बच्चों पर किस प्रकार बुरा असर पड़ता है और उनके साथ-साथ उनकी माता किस प्रकार परेशानियों से गिर सकती है इसके बारे में भी हमने आपको बताया है महिलाओं के लिए गर्भावस्था में यह सुनिश्चित करना काफी जरूरी होता है कि उनके बच्चे का जन्म पूरे समय पर ही हो अगर बच्चे का जन्म पहले होता है तो इसका नुकसान बच्चे के साथ-साथ माता को भी होता है

इसके अतिरिक्त आज हमने Causes Of Pre-mature delivery During Pregnancy In Hindi तथा Treatment Of Pre-mature Delivery During Pregnancy In Hindi इसी के साथ-साथ हमनें आजSymptoms Of Pre-mature Delivery During Pregnancy In Hindi तथा Prevention From Pre-mature Delivery During Pregnancy In Hindiके बारे में भी जाना है।

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