- What is Conjunctivitis in Hindi| क्या है आईफ्लू or कंजक्टीवाइटिस
- इसे ‘Pink eye’ क्यों कहा जाता है?
- आई फ्लू or कंजक्टीवाइटिस के लक्षण Symptoms Of Conjunctivitis in Hindi
- बच्चों में आई फ्लू है कितना खतरनाक
- कंजक्टीवाइटिस से बचाव एवं सावधानियां
- कंजक्टीवाइटिस फैलने के कारण | Causes of Eye Flu or Conjunctivitis in Hindi
- इस मानसून में कुछ घरेलू उपाय से करे कंजक्टीवाइटिस से बचाव
- कंजक्टीवाइटिस के ठीक होने में लगने वाला समय
What is Conjunctivitis in Hindi| क्या है आईफ्लू or कंजक्टीवाइटिस
आंखें नाजुक होती हैं और आसानी से प्रभावित हो जाती हैं। यहां तक कि आंखों से जुड़ी एक छोटी सी समस्या भी तत्काल लक्षण पैदा कर सकती है। आज के इस लेख में हम आँख की एक ऐसी ही बीमारी के बारे में बात करने वाले है जिसे कंजक्टीवाइटिस या फिर आँखों का फ्लू Eye Flu भी कहा जाता है। इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे क्या होता है कंजक्टीवाइटिस (Conjunctivitis in Hindi) साथ ही हम इस लेख में (Conjunctivitis Symptoms in hindi) कंजक्टीवाइटिस के लक्षणों के बार में जानेंगे।
मानसून के मौसम में विभिन्न बीमारियों और संक्रमणों का खतरा अधिक हो जाता है। एक विशेष मुद्दा जो बहुत चिंता का विषय है वह है आंखों का संक्रमण, जिसे आमतौर पर चिकित्सीय भाषा में आई फ्लू या कंजक्टीवाइटिस कहा जाता है। यह आई फ्लू देश भर के कई शहरों में तेजी से फैलता है, जिसका मुख्य कारण भारी वर्षा है। इस समस्या के शुरुआती चरण में व्यक्तियों को आंखों में लालिमा, जलन, खुजली, दर्द और अत्यधिक आंसू आने का अनुभव हो सकता है।
यह मुख्य रूप से बरसात के मौसम में नम हवा में पनपने वाले बैक्टीरिया और कीटाणुओं की बढ़ती उपस्थिति के कारण होता है। आमतौर पर, संक्रमण एक आंख से शुरू होता है और तेजी से दूसरी आंख में भी फैल सकता है। यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो अपने निकटतम स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से तत्काल चिकित्सा सहायता लेना अनिवार्य है।
इसे ‘Pink eye’ क्यों कहा जाता है?
कंजंक्टिवाइटिस, जिसे “पिंक आई”, भी कहा जाता है। कंजंक्टिवा एक पतली और क्लियर लेयर होती है , जो पलक के अंदर की परत और आंख के सफेद वाले हिस्से को ढकी रहती है । कंजंक्टिवा में होने वाली यह एक सूजन है। इसे पिंक आई इसलिए कहा जाता है, क्योंकि कंजंक्टिवाइटिस के कारण अक्सर आंखों का जो सफेद भाग है वह गुलाबी या लाल हो जाता है।”
आई फ्लू or कंजक्टीवाइटिस के लक्षण Symptoms Of Conjunctivitis in Hindi
- आँखे लाल हो जाती हैं।
- आंखों में पानी आने लगता है।
- जलन होती होती है।
- पलकों पर येलो और चिपचिपा लिक्विड इकट्ठा होने लगता है।
- आंखों में सुजन होती है और चुभन सुरु जाती है
- दर्द होता है
- आंखों में खुजली सुरु हो जाती है।
- इंफेक्शन ज्यदा बढ़ जाने पर आंखों में हेमरेज, किमोसिज भीहो जाता है जिससे पलकों में सूजन आ जाती है।
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बच्चों में आई फ्लू है कितना खतरनाक
छोटे-छोटे बच्चे विशेष रूप से स्कूल जाने वाले बच्चे आई फ्लू इंफेक्शन (Eye Flu in Kids) के शिकार हो रहे हैं ।डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी बच्चे की आंखें लाल है या दर्द कर रही है तो हमें सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि ये आई फ्लू का लक्षण होता है. ऐसी स्थिति में बच्चों को स्कूल न भेजे । क्योंकि आई फ्लू बैक्टीरिया से फैलता है . ये दूसरे बच्चों में भी हो सकता है ।
डॉक्टरों के अनुसार , बच्चों में आई फ्लू होने का खतरा बहुत अधिक होता है। इसका सबसे बड़ा कारण होता है हाइजीन। बच्चे हाइजीन का ध्यान नहीं रख पाते हैं। एक-दूसरे को टच करते हैं और हाथों से आँखों को छू लेते हैं। ऐसे में आई फ्लू का जोखिम बढ़ जाता है।डॉक्टर पेरेंट्स को सलाह देते हैं कि वे इस मौसम में बच्चों की सेहत का विशेष ध्यान रखें और उन्हें हाइजीन के बारे में डेली मॉर्निंग में स्कूल जाने से पहले याद दिलाते रहिएँ।
कंजक्टीवाइटिस से बचाव एवं सावधानियां
- अपने हाथों को समय -समय पर साबुन से साफ करते रहें।
- आंखों की साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखें। आंखों को ठंडे पानी से बार-बार धोएं।
- किसी भी संक्रमित पर्सन के संपर्क में आने से खुद को बचाए।
- आंखों को बार-बार हाथ न लगाएं। अगर इन्फेक्टेड आंख को छुएं, तो हाथ dettol से साफ करें।
- भीड़-भाड़ और गंदगी वाली जगहों पर जाने से परहेज करे।
- संक्रमित व्यक्ति से दूर रहे और उनकी पर्सनल चीजें जैसे तौलिया, चश्मा, तकिया आदि न छुएं।
- स्विमिंग करने से परहेज करें।
मॉनसून सीजन में संक्रमण का खतरा किसी दूसरे सीजन से कहीं ज्यादा रहता है। क्यों की इसमें हवा में नमी होती है और नमी में बैक्टीरिया, वायरस आसानी से रिप्लीकेट होते हैं।
कंजक्टीवाइटिस फैलने के कारण | Causes of Eye Flu or Conjunctivitis in Hindi
- वायरल संक्रमण: वायरल कंजंक्टिवाइटिस अत्यधिक संक्रामक है और अक्सर नॉर्मल सर्दी जैसे श्वसन संक्रमण के साथ होता है। यह दूषित सतहों या श्वसन बूंदों के डायरेक्ट संपर्क में आने से फैल सकता है।
- बैक्टीरियल संक्रमण: बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस बैक्टीरिया के वजह से होता है और अत्यधिक संक्रामक भी हो सकता है। यह गंदे हाथों, मेकअप या फिर कॉन्टैक्ट लेंस जैसे सोर्स से बैक्टीरिया के संपर्क में आने से हो सकता है।
- एलर्जिक रिएक्शन: एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस तब होता है, जब कंजंक्टिवा पराग, धूल पार्टिकल, पालतू जानवरों के फर, या कुछ दवाओं जैसे एलर्जी के प्रति रिएक्शन करती है। यह संक्रामक नहीं है।
इस मानसून में कुछ घरेलू उपाय से करे कंजक्टीवाइटिस से बचाव
- गुलाब जल: आँखें को गुलाब जल से धोने से आँखों का संक्रमण कम होता है। गुलाब जल की 2 या 3 बूंद आँखों में दिन में दो बार अवश्य डालें।
- गर्म पानी: इससे बचने के लिए आप गरम पानी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं आँखों के ऊपर की गंदगी को दूर करने के लिए हल्का गुनगुना पानी से आँख को धोएं। जिससे आँखों की जमी गंदगी बाहर साफ़ हो जाएगी।
- शहद और पानी का इस्तेमाल: एक गिलास पानी में 2 चम्मच शहद मिलाएं और फिर उस पानी से अपनी आँखों को साफ करें।
- आंवले का रस: आंवले का रस लें और उस रस को एक गिलास पानी में मिला कर सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले दिन में दो बार इस्तेमाल करे।
- पालक और गाजर का रस: पालक के 4 या 5 पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लें और 2 गाजर को पीसकर उसका रस निकाल लें। आधा कप पानी भरकर उसमें in दोनों का रस मिलाकर पी लें। रोजाना आप ऐसा करेंगे तो देखेंगे की आँखों का संक्रमण कम होने लगता है। इनमें पाए जाने वाले विटामिन आँखों के लिए बहुत ज़रूरी होते हैं।
- हल्दी और गर्म पानी: हल्दी पाउडर 2-3 स्पून लेकर 2 से 3 मिनट तक गर्म करें। उस हल्दी को एक गिलास गर्म पानी में मिक्स कर लें। कॉटन की मदद से आँखों को साफ करें। गर्म पानी में हल्दी मिलाकर आँखों को रूई से पोंछना चाहिए।
- आलू: एक आलू को पतले स्लाइस में काट लें। रात को सोने से पहले स्लाइस को 10 मिनट के लिए आँखों पर लगाएं और फिर निकाल लें। आलू में जो स्टार्च होता है वो अधिक क्वांटिटी में होता है, जो संक्रमण को ठीक करता है।
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कंजक्टीवाइटिस के ठीक होने में लगने वाला समय
यह वायरल कंजंक्टिवाइटिस है तो यह अपने आप ठीक होने वाली बीमारी है। वॉश बेसिन, तौलिया या तकिए से पूरे घर को इन्फेक्शन हो जा रहा है। कंजक्टीवाइटिस को ठीक होने में कम से कम से 5 या 6 दिन लग सकते हैं। अगर ये संक्रमण एक के बाद अगर दूसरी आंख में भी फ़ैल जाता है तो सही होने में इससे जयादा टाइम लग सकता है पर परेसान न हो।
निष्कर्ष:
विशेष रूप से बरसात में कंजक्टीवाइटिस होना बहुत आम बात है। यह बिल्कुल भी खतरनाक नहीं है इसलिए आप पैनिक न हो। सही इलाज करने पर यह आँख को कोई स्थायी नुकसान पहुंचाए बिना एक या दो सप्ताह में ठीक हो जाता है। डॉक्टर द्वारा परामर्श की गई एंटी-एलर्जी आई ड्रॉप दिन में 3 से 4 बार लगाने से यह आसानी से खत्म किया जा सकता है।
कंजक्टीवाइटिस के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | FAQs Realted To Conjunctivitis in Hindi
कंजक्टीवाइटिस का प्रभावी ढंग से और कुशलता से इलाज कैसे किया जा सकता है?
नेत्रश्लेष्मलाशोथ की परेशानी को तेजी से कम करने के लिए, कोई भी व्यक्ति लेख में बताए गए प्रभावी घरेलू उपचारों को आसानी से अपना सकता है।
क्या कंजंक्टिवाइटिस के कारण मुझे काम से छुट्टी लेना जरूरी है?
कंजंक्टिवाइटिस के दौरान आंखों को आराम देना जरूरी है, इसलिए कंप्यूटर का इस्तेमाल करने जैसी गतिविधियों से बचना चाहिए।
कंजक्टीवाइटिस के उपचार का समय क्या है?
नेत्रश्लेष्मलाशोथ का इलाज करने का तरीका इसके कारण पर निर्भर करता है। हमने लेख में इसके बारे में विस्तार से बताया है।
कैसे पता कर सकते हैं कि कंजंक्टिवाइटिस वायरल है या बैक्टीरियल?
वायरल और बैक्टीरियल नेत्रश्लेष्मलाशोथ के लक्षण यह पहचानने में मदद कर सकते हैं कि किस प्रकार का संक्रमण मौजूद है। आंखों से पानी आना और एक आंख से दूसरी आंख तक तेजी से फैलना वायरल नेत्रश्लेष्मलाशोथ की विशेषता है। इस बीच, बैक्टीरियल नेत्रश्लेष्मलाशोथ आंखों से निकलने वाले मवाद की उपस्थिति और पलकों के आपस में चिपकने की संभावना से चिह्नित होता है।
क्या कंजक्टीवाइटिस उपचार के बिना ठीक हो सकता है?
हालाँकि कंजक्टीवाइटिस कभी-कभी उपचार के बिना भी ठीक हो सकता है, लेकिन इसके लिए उपचार लेना महत्वपूर्ण है।